सिर्फ एक सेल्फी, कुछ सेकेंड और थोड़ी-सी क्रिएटिविटी—फोन की स्क्रीन पर आप 90 के दशक की फिल्म की हीरोइन। सोशल मीडिया पर वही हो रहा है। लड़कियां अपने रूटीन सेल्फी को रेट्रो बॉलीवुड-स्टाइल साड़ी लुक में बदल रही हैं, और ये बदलाव कर रहा है जनरेटिव एआई। इसे कई यूज़र्स Google Gemini में दिख रहे एक ऑप्शन—‘Nano Banana’—के नाम से शेयर कर रहे हैं। ट्रेंड इतना तेज है कि फीड खोलते ही लाल शिफॉन, बैंगनी शिफॉन, और मॉनसून सीन की तस्वीरें लाइन में दिख जाती हैं। यह खेल AI साड़ी फोटो का है—और 2025 का सबसे तेज़ फैलता विज़ुअल ट्रेंड भी।
आईडिया सीधा है: एआई आपकी सेल्फी को शैली, कपड़े, मेकअप, बैकग्राउंड और लाइटिंग तक री-इमैजिन कर देता है। बिना असली साड़ी पहने, बिना स्टूडियो, बिना मैकअप आर्टिस्ट, आपको रेड-कार्पेट जैसा पोर्ट्रेट मिल जाता है। नॉस्टैल्जिया भी जुड़ जाता है—90s बॉलीवुड का सॉफ्ट-फोकस, मॉनसून का सिल्वर-लाइट, और शिफॉन की फ्लो—सब कुछ एक तस्वीर में। इसलिए इंस्टाग्राम, टिकटॉक और फेसबुक पर #AISaree, #SareeNotSorry, #AIFashion जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।
यूज़र्स के बीच कुछ प्रॉम्प्ट नाम तो सेलेब्रिटी जैसे हो गए हैं। ‘Red Chiffon Diva’ टेम्पलेट-स्टाइल प्रॉम्प्ट में ट्रांसलूसेंट लाल शिफॉन, सफेद फूल, वार्म लाइट और 4K-फील वाली डिटेल्स मांगी जाती हैं—नतीजा सपनीला, पोस्टर-जैसा। ‘Purple Chiffon Baddie’ पुराने लकड़ी के दरवाज़ों, हार्ड शैडोज़ और पर्पल ड्रेप के साथ थोड़ा एडी लुक बनाती है। ‘Rainy Bollywood Scene’ तो जैसे मॉनसून सॉन्ग निकाल लाती है—गीला-सा टेक्सचर, बैकलाइट का हेलो, और सिल्हूट में साड़ी की मूवमेंट।
ट्रेंड सिर्फ DIY ऐप्स तक सीमित नहीं रहा। कुछ प्लेटफॉर्म—जैसे Evoke—टेम्पलेट-आधारित एआई पोर्ट्रेट ऑफर कर रहे हैं जहाँ आप सीधे साड़ी-स्टाइल चुनते हैं और बाकी काम सिस्टम कर देता है। बिना टेक्निकल जानकारी के भी 2–3 टैप में तस्वीर बन जाती है। यही वजह है कि छोटे शहरों की कॉलेज स्टूडेंट्स से लेकर मेट्रो शहरों की क्रिएटर्स—सब इस लहर में सवार हैं।
बड़ा कारण ‘डेमोक्रेटाइजेशन’ भी है—पहले ऐसा रेट्रो, सिनेमैटिक पोर्ट्रेट बनवाने के लिए स्टाइलिस्ट, आउटफिट, मेकअप, फोटोग्राफर और स्टूडियो लगता था। अब फोन और डाटा बस। सांस्कृतिक एस्थेटिक्स—साड़ी के पल्लू की ड्रेपिंग, गजरा, बिंदी, पुराने लोकेशन की टेक्सचर—सबको आम यूज़र अपने हिसाब से मिला-जुला रहा है।
सोशल पोस्ट्स और ट्यूटोरियल्स में एक बेसिक वर्कफ़्लो दिखता है—
बेहतर रिज़ल्ट के लिए ये प्रॉम्प्ट आइडियाज़ काम आ रहे हैं—
टेक्निकली, मॉडल आपके चेहरे की विशेषताएँ पढ़कर उन्हें चुनी हुई स्टाइल और बैकग्राउंड में री-रेंडर करता है। डिफ्यूज़न/मल्टीमोडल एप्रोच विज़ुअल डिटेल्स भर देता है—हेयर-स्ट्रैंड, फैब्रिक-फ्लो, स्किन-लाइट। आउटपुट सेकेंड्स में मिल जाता है, और कई बार हाई-रेज फील देता है।
कुछ प्रैक्टिकल टिप्स—
कंटेंट क्रिएशन के लिहाज़ से फायदे साफ हैं—कम लागत, तेज़ टर्नअराउंड, और ब्रांड-फ्रेंडली एस्थेटिक्स। कॉलेज फेस्ट पोस्टर, रीळ कवर, प्रोफाइल फोटो—हर जगह इस्तेमाल हो रहा है। कुछ फोटोग्राफर्स इसे मूडबोर्ड या प्री-शूट लुक-टेस्ट की तरह भी यूज़ कर रहे हैं; बुटीक और डिजाइनर्स कैटलॉग मॉकअप बनाने में ट्राय कर रहे हैं।
पर जोखिम भी उतने ही असली हैं।
कुछ कॉमन गड़बड़ियाँ और फिक्स—
अगर ‘Nano Banana’ आपके ऐप वर्ज़न में नहीं दिख रहा, तो निराश न हों। कई यूज़र्स वैकल्पिक एआई इमेज टूल्स/कैमरा-फिल्टर्स से भी यही एस्थेटिक्स पा रहे हैं—सीक्रेट वही है: साफ सेल्फी, डिटेल्ड प्रॉम्प्ट, और 2–3 इट्रेशन। लो-एंड फोन पर भी हल्के मॉडल और क्लाउड-रेंडर मिलकर ठीक-ठाक नतीजे दे रहे हैं।
कम्युनिटी हर हफ्ते नए प्रॉम्प्ट्स खोज रही है—शरारा और बनारसी सिल्क से लेकर डार्क अकादेमिया साड़ी, बारिश की बूँदों पर बोकैह, विंटेज टेम्पल आंगन, स्टूडियो रिम-लाइट, सब। जो लोग लगातार अपलोड कर रहे हैं, वो छोटे-छोटे नियम फॉलो करते हैं: सरल बैकग्राउंड, एक थीम पर कई वेरिएशन, और कलर-ग्रेडिंग में स्थिरता। इसी से फीड में एक पहचान बनती है।
ये ट्रेंड सांस्कृतिक सौंदर्य और टेक्नोलॉजी के बीच पुल बनाता है—लोग बिना बड़ा बजट लगाए अपने हिसाब से साड़ी की खूबसूरती को री-इमैजिन कर रहे हैं। हाँ, उम्मीद यही है कि इस आसान क्रिएटिविटी के साथ जिम्मेदारी भी उतनी ही आसान आदत बने—किसी की तस्वीर नहीं, अपनी; कमर्शियल काम है तो लाइसेंस क्लियर; और जहाँ ज़रूरी हो, साफ-साफ बताइए—इमेज एआई-जनरेटेड है।