2003 और 2025 की मतदाता सूची का मिलान: झारखंड, यूपी और राजस्थान में एसआईआर अभियान शुरू

2003 और 2025 की मतदाता सूची का मिलान: झारखंड, यूपी और राजस्थान में एसआईआर अभियान शुरू

चुनाव आयोग के निर्देशों के तहत देश भर में विशेष मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम (एसआईआर) की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। मतदाता सूची मिलान का यह अभियान, जिसका उद्देश्य 2003 की पुरानी सूची को 2025 की नवीनतम सूची से मेल खाना है, अब झारखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में जमकर शुरू हो चुका है। यह सिर्फ एक तकनीकी कार्य नहीं — यह उस हर वोट की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने का प्रयास है, जो भारत की लोकतंत्र की रीढ़ है।

साहिबगंज में बीएलओ को मैपिंग का प्रशिक्षण

शनिवार को बोरियो, साहिबगंज जिला, झारखंड के प्रखंड कार्यालय में नागेश्वर साव, बीडीओ और सहायक निर्वाचन निबंधक, ने बीएलओ पर्यवेक्षकों को एक अनूठा प्रशिक्षण दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस महिला का नाम 2003 की सूची में नहीं है, उसका नाम उसके माता-पिता की मतदाता सूची से जोड़ा जाएगा। यह तरीका बहुत से गांवों में लड़कियों के नाम गायब होने की समस्या का समाधान करता है। "मैपिंग कर बीएलओ एप से लॉगिन करना है, ताकि किसी मतदाता का नाम नहीं छुटे," नागेश्वर साव ने कहा। इस बैठक में कम्प्यूटर ऑपरेटर रोहित पासवान और बीएलओ पर्यवेक्षक जनसेवक परमानंद मंडल जैसे कर्मचारी उपस्थित थे।

पीलीभीत: नौ लाख से 14.67 लाख तक का विस्तार

पीलीभीत, उत्तर प्रदेश में एसआईआर अभियान मंगलवार से शुरू हुआ है। यहां 1522 बूथों पर काम चल रहा है, और 4 दिसंबर तक पूरा किया जाना है। यहां की स्थिति चौंकाने वाली है — 2003 में नौ लाख मतदाता थे, लेकिन 2025 की अंतिम सूची में यह संख्या 14.67 लाख हो गई है। ऋतु पूनिया, उप जिला निर्वाचन अधिकारी, ने बताया कि इस बढ़ोतरी का कारण नए मतदाताओं का जुड़ना, स्थानांतरण और गलत नामों का हटाया जाना है। 958 पोलिंग सेंटरों पर फार्म ए वितरित किए जा रहे हैं, और 173 सुपरवाइजरों को दस-दस बीएलओ की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा, "रिपोर्ट सीधे जिला निर्वाचन अधिकारी को भेजी जा रही है। कोई गलती नहीं होनी चाहिए।"

राजस्थान: बीकानेर में घर-घर सर्वे और करौली में तैयारियां पूरी

करौली, राजस्थान में जिला निर्वाचन अधिकारी नीलाभ सक्सेना ने 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक कार्यक्रम की अवधि की घोषणा की। हिण्डौन और टोडाभीम में बीएलओ ब्रीफिंग हुई। वहीं, बीकानेर पूर्व और पश्चिम विधानसभा क्षेत्रों में, जहां मैपिंग कम थी, मयंक मनीष, अतिरिक्त जिला निर्वाचन अधिकारी, ने बीएलओ को प्रशिक्षण दिया। अब बीएलओ घर-घर जा रहे हैं — न केवल नाम जांच रहे हैं, बल्कि आधार कार्ड, पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों की पुष्टि भी कर रहे हैं। यह अभियान केवल डेटा अपडेट नहीं, बल्कि नागरिकों के साथ विश्वास का निर्माण है।

क्यों यह अभियान इतना महत्वपूर्ण है?

2003 की मतदाता सूची एक ऐतिहासिक बिंदु है — इसके बाद आधार कार्ड और डिजिटल वेरिफिकेशन का युग शुरू हुआ। अब यह मिलान बताता है कि कितने नए मतदाता जुड़े हैं, कितने लोग चले गए, कितने नाम दोहराए गए। यह आंकड़े बताते हैं कि भारत की आबादी कितनी बदल गई है। उदाहरण के लिए, पीलीभीत में 60% बढ़ोतरी का मतलब है कि लगभग 5.6 लाख नए मतदाता जुड़े हैं — ज्यादातर युवा और महिलाएं। यह लोकतंत्र की जवानी है।

चुनाव आयोग का कड़ा निगरानी तंत्र

सभी जिलों में चुनाव आयोग के निर्देशों का 100% पालन करने पर जोर दिया गया है। यह कोई आम अभियान नहीं — यह एक ऑपरेशन है। जिला निर्वाचन अधिकारी सीधे रिपोर्ट्स चेक कर रहे हैं। अगर किसी बीएलओ ने एक भी नाम छोड़ दिया, तो उसकी जिम्मेदारी तुरंत पूछी जाएगी। यह निगरानी डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से हो रही है, जहां प्रत्येक बीएलओ की प्रगति रियल-टाइम में दिख रही है। यह तकनीक ने चुनावी गलतियों को जीवन में लाने की क्षमता बढ़ा दी है।

अगला कदम: डेटा की सत्यता की पुष्टि

अभियान के बाद, चुनाव आयोग एक अनिवार्य ऑडिट शुरू करेगा। यहां तक कि जिन लोगों के नाम दोहराए गए हैं, उन्हें भी नए फार्म भरने के लिए बुलाया जाएगा। अगर कोई नाम अभी भी असंगत रहा, तो उसे अंतिम सूची से हटा दिया जाएगा। इसके बाद, एक अंतिम अपडेट वोटर लिस्ट 15 दिसंबर तक जारी की जाएगी — जिसके बाद कोई भी नाम बदलने का अवसर नहीं होगा।

Frequently Asked Questions

2003 और 2025 की मतदाता सूची में इतना अंतर क्यों है?

2003 की सूची बहुत पुरानी है — तब आधार कार्ड नहीं था, और बहुत से नाम अपूर्ण या गलत थे। आज, डिजिटल डेटा, आधार लिंकिंग और घर-घर सर्वे के कारण नए मतदाता जुड़ रहे हैं। पीलीभीत में नौ लाख से 14.67 लाख तक की बढ़ोतरी इसी कारण हुई है — युवाओं, महिलाओं और स्थानांतरित परिवारों का शामिल होना।

अगर मेरा नाम 2003 की सूची में नहीं है, तो क्या मैं वोट नहीं दे सकता?

नहीं, आप वोट दे सकते हैं। एसआईआर का मकसद आपको नई सूची में शामिल करना है। अगर आपका नाम 2003 में नहीं था, तो आपके माता-पिता के नाम से मैपिंग की जाएगी। बीएलओ आपके घर आएंगे और आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र आदि दस्तावेजों की पुष्टि करेंगे।

क्या यह अभियान सिर्फ गांवों तक सीमित है?

नहीं। यह अभियान शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में चल रहा है। पीलीभीत और बीकानेर जैसे जिलों में शहरी इलाकों में भी बीएलओ घूम रहे हैं। यहां अक्सर लोग अपना पता बदल देते हैं — इसलिए डेटा अपडेट करना और जरूरी है।

क्या यह मतदाता सूची में धोखाधड़ी को रोकेगा?

हां। यह अभियान डुप्लिकेट नाम, निकाले गए नाम और अवैध नामों को निकालने का एकमात्र तरीका है। जब एक ही व्यक्ति के दो नाम होते हैं, तो वह दो बार वोट दे सकता है। इस अभियान के बाद, ऐसे अवसर लगभग खत्म हो जाएंगे।