आप जब भी नई इमारत, सड़क या पुल देखते हैं, तो सबसे पहले ध्यान में आने वाला चीज़ कंक्रीट होता है. यह एक मजबूत मिश्रण है जो चूना, सीमेंट, रेत और बजरी को पानी से मिलाकर बनता है. बिना किसी झंझट के, कंक्रीट जल्दी ठोस हो जाता है और बहुत भारी भार संभालता है. इसलिए सिविल इंजीनियरिंग में इसका इस्तेमाल हर जगह होता है.
अगर आप खुद घर बनाना चाहते हैं या छोटे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, तो कंक्रीट के सही प्रकार और मिश्रण समझना जरूरी है. गलत मिश्रण से दरारें आ सकती हैं, और बड़ी समस्या बन सकती है. चलिए अब कंक्रीट के मुख्य प्रकारों को देखते हैं.
1. साधारण कंक्रीट – यह सबसे आम है. आमतौर पर 1:2:4 (सीमेंट: रेत: बजरी) अनुपात में मिलाया जाता है. हल्के घनत्व वाले प्रोजेक्ट के लिए ठीक.
2. मजबूत कंक्रीट (हाई स्ट्रेंथ कॉन्क्रीट) – इसमें उच्च ग्रेड का सीमेंट और विशेष एडिटिव्स डालते हैं. इसका उपयोग उंची इमारतों या पुलों में किया जाता है.
3. फ्लाय ऐश कंक्रीट – इसमें बिजली के प्लांट से निकलने वाला फाइल ऐश मिलाया जाता है. यह किफायती और पर्यावरण के अनुकूल होता है.
4. पानी-प्रतिरोधी कंक्रीट – इसमें वाटरप्रूफिंग एडिटिव्स होते हैं. बाथरूम, पूल या समुद्र किनारे के निर्माण में इस्तेमाल होता है.
5. फाइबर-रिइनफ़ोर्स्ड कंक्रीट – इसमें स्टील या प्लास्टिक फाइबर मिलाते हैं ताकि ठोस और लचीला दोनों हो. यह फर्श और टनल में काम आता है.
सही मिश्रण के लिए सबसे पहले सभी सामग्री को साफ और सूखा रखें. सीमेंट और रेत को पहले मिलाएं, फिर बजरी जोड़ें और अंत में पानी डालें. पानी का मात्रा बहुत ज़्यादा या कम नहीं होना चाहिए; आमतौर पर 0.45-0.6 वाटर-सेमेंट रेशियो सही रहता है.
मिक्सिंग के बाद, तुरंत फॉर्मवर्क में डालें और लैवेलिंग करें. अगर सैमिट्रिकली काम किया तो कंक्रीट जल्दी सेट हो जाता है. सेट होने के बाद, 7 दिनों तक पानी से ढका रखें ताकि सही क्यूरींग हो सके. इससे ताकत बढ़ती है और दरारें कम होती हैं.
रखरखाव में नियमित रूप से सतह की जाँच करें. अगर दरारें दिखें तो जल्दी ग्राउट या एपॉक्सी से भर दें. सर्दियों में जमाव से बचने के लिए एंटी-फ़्रॉस्ट एडिटिव्स इस्तेमाल कर सकते हैं.
एक छोटा ट्रिक: कंक्रीट को ठंडे मौसम में पेश करने से पहले थोड़ा गर्म पानी इस्तेमाल करें, इससे जल्दी सेटिंग होती है और सतह की फिनिश बेहतर रहती है.
तो अब आपके पास कंक्रीट के प्रकार, सही मिश्रण और रखरखाव के बारे में पूरी जानकारी है. अगली बार जब आप निर्माण जेब में जाएँ, तो इन टिप्स को याद रखें और प्रोजेक्ट को मजबूती से आगे बढ़ाते रहें.
भारत में कंक्रीट घर एक प्रदेश के अनुसार अलग-अलग लक्षणों के साथ बनाए गए हैं। उनकी जीवनकाल कुछ अलग तरीकों से निर्धारित हो सकती है। कुछ राज्यों में कंक्रीट की घरों की जीवनकाल 15 साल तक की हो सकती है, जबकि कुछ राज्यों में यह काफी कम समय तक हो सकता है। इसके अलावा, कंक्रीट घरों के निर्माण के लिए अलग-अलग उत्पादों का उपयोग किया जाता है। आइये जानते हैं कि कंक्रीट घरों की जीवनकाल काफी अलग होती है। भारत में कंक्रीट घरों की जीवनकाल राज्य से अलग-अलग हो सकती है, जो 15 साल तक से कम समय तक हो सकती है। निर्माण के लिए विभिन्न उत्पादों का उपयोग किया जाता है। इसलिए, कंक्रीट घरों की जीवनकाल काफी अलग हो सकती है।